थेरवाद बौद्ध धर्म की सबसे पुरानी और परंपरागत शाखाओं में से एक है। यह मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे थाईलैंड, म्यांमार (पूर्व में बर्मा), श्रीलंका, कंबोडिया और लाओस में प्रचलित है। “थेरवाद” का अर्थ “बुजुर्गों की शिक्षा” है, और यह बुद्ध की मूल शिक्षाओं के संरक्षण पर जोर देता है।
थेरवाद बौद्ध धर्म की प्रमुख विशेषताएं:
- त्रिपिटक पर आधारित: थेरवाद बौद्ध धर्म पाली भाषा में लिखे हुए त्रिपिटक ग्रंथों पर आधारित है, जिसे बुद्ध की शिक्षाओं का प्राचीन संग्रह माना जाता है।
- चार आर्य सत्य: थेरवाद परंपरा दुःख, दुःख के कारण, दुःख के निवारण और दुःख के निवारण के मार्ग के रूप में चार आर्य सत्य को केंद्रीय मानती है।
- मध्यमा प्रतिपदा: थेरवाद अष्टांग मार्ग का पालन करता है, जो आठ गुना मार्ग है, जो दुःख से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। यह मार्ग सही दृष्टिकोण, सही संकल्प, सही वाणी, सही कर्म, सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति और सही समाधि पर आधारित है।
- संघ की भूमिका: थेरवाद परंपरा में भिक्षुओं और भिक्षुणियों के संगठन, संघ की महत्वपूर्ण भूमिका है। संघ का उद्देश्य धर्म का अध्ययन और अभ्यास करना तथा दूसरों का मार्गदर्शन करना है।
- निर्वाण का लक्ष्य: थेरवाद का अंतिम लक्ष्य निर्वाण प्राप्त करना है, जो दुःख और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति है।
ध्यान दें:
- थेरवाद बौद्ध धर्म अन्य बौद्ध धर्म शाखाओं जैसे महायान और वज्रयान से कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं में भिन्न है।