निजता का अधिकार किस मौलिक अधिकार का हिस्सा है?
निजता का अधिकार भारत में मौलिक अधिकारों का हिस्सा है, विशेष रूप से अनुच्छेद 21 के तहत “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार” में शामिल है। 2017 में, सर्वोच्च न्यायालय ने “के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ” मामले में फैसला सुनाया कि निजता एक मौलिक अधिकार है और जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अभिन्न अंग है।
यह फैसला महत्वपूर्ण था क्योंकि इसने निजता को एक स्वतंत्र मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित किया, जो पहले अनुच्छेद 21 में निहित अन्य अधिकारों से अनुमानित था।
निजता का अधिकार कई पहलुओं को शामिल करता है, जैसे:
- शारीरिक गोपनीयता: इसमें आपके शरीर और आपके द्वारा किए गए विकल्पों पर नियंत्रण शामिल है, जैसे कि आप क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, और स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेते हैं।
- सूचनात्मक गोपनीयता: इसमें आपकी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि आपके डेटा, संचार और गतिविधियों को नियंत्रित करने का अधिकार शामिल है।
- संचारी गोपनीयता: इसमें आपके संचार, जैसे कि आपके फोन कॉल, ईमेल और टेक्स्ट संदेशों को नियंत्रित करने का अधिकार शामिल है।
- अंतरंगता का अधिकार: इसमें आपके निजी जीवन, जैसे कि आपके रिश्ते और विचारों को नियंत्रित करने का अधिकार शामिल है।
हालांकि, निजता का अधिकार पूर्ण नहीं है। कुछ मामलों में, सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या अपराध को रोकने के लिए निजता पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति है।