Sakat chauth ki katha in Hindi

सकट चौथ एक हिंदू उपवास का दिन है जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह पालन आमतौर पर माघ के हिंदू कैलेंडर महीने में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के वानिंग चरण) के चौथे दिन पड़ता है। जबकि सकट चौथ से जुड़ी कोई विशिष्ट कथा या कथा नहीं है, इस दिन उपवास करने से समृद्धि और कल्याण मिलता है। भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं

एक बार गणेशजी बाल रूप में चुटकी भर चावल और एक चम्मच दूध लेकर पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकले। वे सबसे यह कहते घूम रहे थे, कोई मेरी खीर बना दे, कोई मेरी खीर बना दे। लेकिन सबने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तभी एक गरीब बुढ़िया उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई। इस पर गणेशजी ने घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर चढ़ाने को कहा। बुढ़िया ने बाल लीला समझते हुए घर का सबसे बड़ा भगौना उस पर चढ़ा दिया।
गणेशजी के दिए चावल और दूध भगौने में डालते ही भगौना भर गया। इस बीच गणेशजी वहां से चले गए और बोले अम्मा जब खीर बन जाए तो बुला लेना। पीछे से बुढ़िया के बेटे की बहू ने एक कटोरी खीर चुराकर खा ली और एक कटोरी खीर छिपाकर अपने पास रख ली। अब जब खीर तैयार हो गई तो बुढ़िया माई ने आवाज लगाई-आजा रे गणेशा खीर खा ले।
तभी गणेश जी वहां पहुंच गए और बोले कि मैंने तो खीर पहले ही खा ली। तब बुढ़िया ने पूछा कि कब खाई तो वे बोले कि जब तेरी बहू ने खाई तभी मेरा पेट भर गया। बुढ़िया ने इस पर माफी मांगी। इसके बाद जब बुढ़िया ने बाकी बची खीर का क्‍या करें, इस बारे में पूछा तो गणेश जी ने उसे नगर में बांटने को कहा और जो बचें उसे अपने घर की जमीन गड्ढा करके दबा दें।
अगले दिन जब बुढ़िया उठी तो उसे अपनी झोपड़ी महल में बदली हुई और खीर के बर्तन सोने- जवाहरातों से भरे मिले। गणेश जी की कृपा से बुढ़िया का घर धन दौलत से भर गया। हे गणेशजी भगवान जैसे बुढ़िया को सुखी किया वैसे सबको खुश रखें।